हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,कुम अलमुकद्देसा में अंजुमन ए आले यासीन नजफी हाउस की ओर से चल रहे अशर-ए-मजालिस की आठवीं मजलिस को संबोधित करते हुए हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मौलाना शाहान हैदर कुम्मी ने कहा कि कि मोहर्रम कोई रस्म नहीं है कि जिसको आदा कर दिया जाए तो काफी है बल्कि मोहर्रम किरदार साज़ी का नाम हैं।
उन्होंने सबसे पहले कुरआन पाक की इस आयत की तिलावत की
لَقَدۡ خَلَقۡنَا الۡاِنۡسَانَ فِیۡۤ اَحۡسَنِ تَقۡوِیۡمٍ ۫﴿4
कि अल्लाह तआला ने इंसान को बेहतरीन शक्ल सूरत आता करके पैदा किया,उसके बाद अल्लाह ने इंसान को पूरा अख्तियार दिया कि यह जिंदगी जो दुनिया में गुज़ार रहे हो इस दुनियावी जिंदगी में रंग भरने का काम इंसान के हाथ में है अगर उसने अच्छा काम किया तो इसका शुमार(आला इल्लीईन) में होगा और उसने अगर बुरा काम अंजाम दिया तो इसका शुमार बदतारीन लोंगों में होगा,
मौलाना ने अपनी मजलिस को जारी रखते हुए हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम के फाज़यल को बयान करते हुए उनके किरदार के ऊपर भी नज़र डाली और उनकी महानता के बिंदुओं की ओर भी इशारा किया
अंत में मौलाना ने हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम के मसाए को बयान किए वहां पर मौजूद मोमिनीन की आंखों से आंसू जारी हो गए रोती हुई आंखों के ज़रिए उन्होंने अहलेबैत अ.स.को पुरसा पेश किए